Thursday, December 6, 2018

लॉन्च हुआ Nokia 8.1, जानिए कीमत, फीचर्स और खासियत

Nokia 8.1 के स्पेसिफिकेशन की बात करें तो इसमें 6.18 इंच की फुल एचडी डिस्प्ले दी गई है. ऐस्पेक्ट रेश्यो 18.7:9 है और स्क्रीन टू बॉडी रेश्यो 86.5 फीसदी है. इस पर 2.5D कर्व्ड ग्लास है. प्रोटेक्शन के लिए कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 3 दिया गया है. इस डिवाइस में ऑक्टाकोर क्वॉल्कॉम स्नैपड्रैगन 710 प्रोसेसर दिया गया है. इसकी बॉडी 6000 सिरीज एल्यूमिनियम की बनी है. 

इस स्मार्टफोन की कीमत 399 यूरो (लगभग 31,912 रुपये) है. दुबई में ये 1,499 दिरहम में मिलेगा. कंपनी के मुताबिक सबसे पहले ये मिडिल इस्ट में मिलेगा. भारत में भी इस स्मार्टफोन को जल्द ही लॉन्च किया जाएगा.

यह स्मार्टफोन ब्लू/सिल्वर, स्टील/कॉपर और आयरन/स्टील डुअल कलर वेरिएंट में उपलब्ध होगा.

Nokia 8.1 में Android 9.0 Pie (Android One) दिया गया है. इस स्मार्टफोन की बॉडी टू टोन फिनिश की है और क्लासिक नोकिया डिजाइन मिलता है.

फोटॉग्रफी डिपार्टमेंट की बात की जाए तो Nokia 8.1 में डुअल रियर कैमरा सेटअप दिया गया है. एक कैमरा 12 मेगापिक्सल का है. इसमें 1.4 माइक्रॉन पिक्सल है, डुअल ऑटोफोकस और अपर्चर f/1.8 का है. दूसरा कैमरा 13 मेगापिक्सल का है. सेल्फी के लिए इसमें एक ही कैमरा दिया गया है जो 20 मेगापिक्सल का है.

इस स्मार्टफोन में 3,500mAh की बैटरी दी गई है और यह 18W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट करता है. कनेक्टिविटी के लिए इसमें 4G VoLTE, WiFi, Bluetooth v5.0, GPS और USB Type C पोर्ट दिए गए हैं. इसके अलावा सभी स्टैंडर्ड कनेक्टिविटी फीचर्स मौजूद हैं.कंपनी का दावा है कि Nokia 8.1 की बैटरी 2 दिन तक की बैकअप देगी. 

फाइल शेयरिंग फीचर का न होना भी इसकी कमी रही है. आप इस ऐप पर फोटोज, लोकेशन और स्टिकर्स भेज सकते थे, लेकिन डॉक्यूमेंट्स शेयरिंग नहीं था. वॉट्सऐप और टेलीग्राम ने इसे भुनाया और इसमें भी ऐलो पीछे छूट गया.

वॉट्सऐप की खासियत इसका सिंपल होना है. लेकिन ऐलो थोड़ा ट्रिकी था इसके मुकाबले. कई सारे ऑप्शन, ज्यादा फीचर्स होना भी कभी मुश्किल हो सकता है. वॉट्सऐप की स्ट्रैटिजी रही है कि वो धीरे धीरे फीचर्स देता है. अगर आप याद करें तो शुरुआत में चैटिंग का ही ऑप्शन था.

Thursday, November 29, 2018

GDP डेटा पर बाजीगरी नहीं, चिदंबरम से बहस को तैयार: नीति आयोग उपाध्यक्ष

मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के अधिकांश वर्षों के जीडीपी आंकड़े घटा दिए हैं. इससे एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने आ गई है. कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभाले पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं, तो केंद्र की तरफ से भी लगातार जवाबी हमला किया जा रहा है.

ट्विटर पर चल रही इस जंग में पी. चिदंबरम ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने इस ट्वीट में पूछा, ''मैं सोचता हूं कि क्या राजीव कुमार (नीति आयोग के वाइस चेयरमैन) जीडीपी के बैक सीरीज डेटा पर पत्रकारों के सवालों से बचने की बजाय उस पर चर्चा करेंगे?''

चिंदबरम के इस ट्वीट का जवाब देते हुए नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ''चुनौती स्वीकार है. आइए बैक सीरी‍ज डेटा को लेकर चर्चा करें. मैंने कल इस पर 3 घंटे का ड‍िटेल इंटरव्यू दिया. पी. चिदंबरम का ये कहना कि मैंने मीडियो को प्रश्न न पूछने के लिए कहा उनकी कपटता को दिखाता है.''

राजीव कुमार ने अपने ट्वीट में चिदंबरम पर हमला करते हुए लिखा कि बैक सीरीज डेटा के साथ आपको जो परेशानी हो रही है. उसको लेकर कुछ पुख्ता कारण दीजिए.

इससे पहले बुधवार को इन आंकड़ों को लेकर विवाद उठने के बाद नीति आयोग ने एक ट्वीट किया था. इसमें उसने भारत के मुख्य सांख्य‍िकीव‍िद प्रवीण श्रीवास्तव का बयान लिखा है. प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा है कि जीडीपी का बैक सीरीज डेटा निकालने के लिए हमने अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाया है. यह जो डेटा जमा किया गया है, यह व्यापक स्तर पर किए गए अध्ययन का नतीजा है.

बता दें क‍ि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बुधवार को जीडीपी का संशोधित आंकड़ा जारी किया. जिसमें आंकड़ों को 2004- 05 के आधार वर्ष के बजाय 2011- 12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था की अधिक वास्तविक तस्वीर सामने आ सके.

इससे यूपीए सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत से अधिक कमी आई है जब देश ने दो अंकों में वृद्धि दर्ज की थी. इसके अलावा 9 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर वाले तीन वर्षों के आंकड़ों में भी एक फीसदी की कमी आई है.

सरकार द्वारा संशोधित आंकड़ों में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार का आंकड़ा कम किए जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट में लिखा, 'नीति आयोग के संशोधित GDP आंकड़े एक मजाक हैं. वे एक बुरा मजाक हैं. असल में वे एक बुरे मजाक से भी बदतर हैं. इन आंकड़ों का उद्देश्य मान सम्मान को धक्का पहुंचाना है.

अब जब नीति आयोग ने मान सम्मान को धक्का पहुंचाने का काम किया है, तब समय आ गया है कि इस पूरी तरह से बेकार संस्था को बंद कर दिया जाना चाहिए. इससे पहले के आंकड़ों की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग करती थी. क्या आयोग को भंग कर दिया गया है?

Sunday, October 21, 2018

मोबाइल देने के बजाए बच्चों को अपना समय देते हैं मैरीकॉम और राज्यवर्धन

हम भारतीय जहां मोबाइल को सबसे जरूरी मानकर चल रहे हैं, वहीं कुछ सफल लोग ऐसे भी हैं जो इसे बच्चों के लिए जरूरी नहीं मानते। वे बतौर माता-पिता बच्चों को ऐसी परवरिश दे रहे हैं, जहां मोबाइल के लिए कोई स्थान नहीं है। दैनिक भास्कर ने इन हस्तियों से बात की। इन्हीं में से दो एमसी मैरीकॉम और राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भास्कर यूजर्स के लिए पत्र लिखे हैं। खास यह है कि ये पत्र उन्होंने बतौर मां और एक पिता की हैसियत से साझा किए हैं।

बच्चों को मोबाइल के बजाय खेल में व्यस्त रखती हूं : मैरीकॉम
हर मां की तरह यह चिंता मुझे भी है कि बच्चों को मोबाइल का कितना इस्तेमाल करने दिया जाए। मेरा मानना है कि बच्चे मोबाइल की तरफ तब जाते हैं, जब आप उन्हें जाने देते हैं। जरूरी यह नहीं कि आप उन पर बंदिशें लगाएं, जरूरी यह जानना है कि आप उन्हें मोबाइल के बदले दे क्या रहे हैं। यही वजह है कि मैंने बच्चों के लिए घर पर पियानो क्लास शुरू करवाई है। उन्हें घर पर फुटबॉल, बैडमिंटन जैसे खेलों की तरफ बढ़ा रही हूं। ताकि वे दिनभर खेल-खेल में नया सीखते रहें।

मां या पिता में कोई एक हमेशा बच्चों के साथ रहे

जितना संभव हो सकता है, बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की कोशिश करती हूं....लेकिन आप तो जानते हैं...हैं तो वे बच्चे ही। पति और मैं कोशिश करते हैं कि दोनों में से एक हमेशा बच्चों के साथ रोज समय बिताएं। जब भी समय मिलता है, म्यूजिक और खेल की ही बात होती है। म्यूजिक हम सभी को पसंद है। इतना कि बस गाना चलाओ और डांस शुरू। याद रखिए वे बच्चे हैं। अधिकतर ज्ञान और आदतें वे आप ही से सीखते हैं। इसलिए उन पर बंदिशें लगाने से बेहतर है कि आप ही बच्चे बन जाएं और रोज नया सिखाएं।

तकनीक में बदलाव से मां-बाप की जिम्मेदारियां बढ़ीं : राज्यवर्धन

मोबाइल परिवर्तन का सबसे बड़ा प्रतीक है। टेक्नोलॉजी में रोज बदलाव हो रहे हैं, लेकिन यही परिवर्तन बतौर माता-पिता हमारी जिम्मेदारियों को और बढ़ा देता है। मोबाइल से आप बच्चों को दूर नहीं रख सकते, लेकिन उसके सीमित और सही इस्तेमाल की एक समय सीमा तय कर सकते हैं। वे भी तब जबकि यह बहुत जरूरी हो। मेरे दोनों बच्चे अपने भविष्य के निर्माण में जुटे हैं। बेटी 11वीं कक्षा में है। बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती है, जहां मोबाइल के इस्तेमाल की इजाजत ही नहीं है।

बच्चों को मोबाइल नहीं अपना समय दें

बेटा प्रोफेशनल एथलीट के तौर पर तैयारी में जुटा है। यह समय दोनों बच्चों के करियर का सबसे अहम है। ऐसे में समय बिताने के लिए वे मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते। मेरी हमेशा कोशिश होती है कि बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताया जाए। अगर हम चारों दिल्ली में होते हैं तो ब्रेकफास्ट और डिनर साथ करते हैं। बतौर पैरेंट आप उन्हें मोबाइल न दें, बल्कि अपना समय दें। उनमें इतना विश्वास होना चाहिए कि वे कभी भी आपसे बात कर सकें। मेरा बेटा और मैं हमेशा शूटिंग और वर्कआउट की बातें करते हैं

बेहद जरूरी होने पर ही बच्चों को मोबाइल दें

यह आप पर निर्भर करता है कि आपके बच्चे मोबाइल का कैसा इस्तेमाल कर रहे हैं। मेरा मानना है छात्रों को केवल टेक्स्ट मैसेजिंग जितना ही मोबाइल का इस्तेमाल करने देना चाहिए, वो भी तब जब बहुत जरूरी हो। वरना बिल्कुल नहीं। 

लॉन्च हुआ Nokia 8.1, जानिए कीमत, फीचर्स और खासियत

Nokia 8.1 के स्पेसिफिकेशन की बात करें तो इसमें 6.18 इंच की फुल एचडी डिस्प्ले दी गई है. ऐस्पेक्ट रेश्यो 18.7:9 है और स्क्रीन टू बॉडी रेश्यो 8...